नाटक एवं कविताएं >> आओ मीत गाओ गीत आओ मीत गाओ गीतदिनेश चमोला
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एक रोचक कविता-संग्रह ...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
कौआ-कोयल
काला कौआ, काली कोयल
दोनों उड़ते, हँसते पल-पल
दोनों की गुणता में अन्तर
वाणी में है जादू मन्तर
कागा रूखी वाणी बोले
कोयल मिसरी सा रस घोले
दोनों उड़ते, हँसते पल-पल
दोनों की गुणता में अन्तर
वाणी में है जादू मन्तर
कागा रूखी वाणी बोले
कोयल मिसरी सा रस घोले
चींटी
चलती टिट-पिट, टिट-पिट टीं-टीं
नन्हीं वीर बहादुर चींटी
कहती जग में कठिन नहीं कुछ
जो सोचूँ वह पालूँ पल में
हाथी तक को कँपकँपा दूँ
मैं हूँ वीर बहादुर चींटी
नन्हीं वीर बहादुर चींटी
कहती जग में कठिन नहीं कुछ
जो सोचूँ वह पालूँ पल में
हाथी तक को कँपकँपा दूँ
मैं हूँ वीर बहादुर चींटी
गाय
बहुत भली है दानी गाय
ऋषियों सी है ज्ञानी गाय
जग को देती अन्न शक्ति नित
किन्तु नहीं अभिमानी गाय
अपने बछड़ों को सिखलाती
श्रम से जग में करना काम
अपने गुण वैभव से बच्चों
पूजनीय है उसका नाम !
ऋषियों सी है ज्ञानी गाय
जग को देती अन्न शक्ति नित
किन्तु नहीं अभिमानी गाय
अपने बछड़ों को सिखलाती
श्रम से जग में करना काम
अपने गुण वैभव से बच्चों
पूजनीय है उसका नाम !
गधा
बहुत गधा है गदहे राम
राजनीति से करता काम
जितना ढो लो उतना ढो ले
फिर भी हाँ-ना कभी न बोले
जितना लादो, उतना लादे
कभी न थकता करते वादे
कहता जग गर नेता पाले
सबके घर लगवाँ दूँ ताले !
राजनीति से करता काम
जितना ढो लो उतना ढो ले
फिर भी हाँ-ना कभी न बोले
जितना लादो, उतना लादे
कभी न थकता करते वादे
कहता जग गर नेता पाले
सबके घर लगवाँ दूँ ताले !
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